महाराणा हमीर के पश्चात् उनके ज्येष्ठ पुत्र क्षेत्रसिंह चित्तौड़ की गद्दी पर बैठे, जिन्होंने मालवे के सुलतान अमीशाह (दिलवरखां गौरी) को परास्त किया। कर्नल टॉड ने महाराणा क्षेत्रसिंह के बारे में लिखा है कि उक्त महाराणा ने लिल्ला पठान से अजमेर और जहाजपुर लिये तथा मांडलगढ़, दसोर (मन्सौर) को फिर मेवाड़ में मिलाया। उनका देहान्त अपने सामन्त बंबावदे के हाड़ा सरदार के साथ झगड़े में हुआ था।
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